किस्से पुरानी यादों के चुनते हैं,
आओ कुछ अधूरे मिसरे बुनते हैं।
खामोशी दिल की हर बात कहेगी,
आज नज़रों से दिल की बात सुनते है।
धुनों ने ग़ज़लों में जान नहीं फुकी है,
जो धुन तुम गुनगुनाओ वो धुन धुनते है।
"निक्क" तुम मुझे देख मुस्कुरा देते हो,
तभी लोग हमसे इतना क्यों जलते भुनते है।
किस्से पुरानी यादों के चुनते हैं,
आओ कुछ अधूरे मिसरे बुनते हैं।
स्वरचित : निखिल घावरे "निक्क सिंह निखिल"
भोपाल (मध्यप्रदेश)
Shashank मणि Yadava 'सनम'
13-Jun-2023 08:13 AM
खूबसूरत भाव और बेहतरीन अभिव्यक्ति
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nikksinghnikhil
13-Jun-2023 11:49 AM
जी धन्यवाद
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वानी
12-Jun-2023 06:49 PM
Nice
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nikksinghnikhil
13-Jun-2023 11:49 AM
Thank you
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Babita patel
12-Jun-2023 04:57 PM
good sir
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nikksinghnikhil
13-Jun-2023 11:50 AM
Thank you
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